Million's of Wonders


एक बच्ची किसी चीज़ से खेल रही थी
बाद में उसी चीज़ को देखकर कुछ सोचने लगी
उसके,
उन आखोनें क्या देखा ?
पता नहीं...
उन कानोंने क्या सुना ?
पता नहीं...
क्या मेहसूस किया ?
पता नहीं...
मुझे तो इन सवालों के जवाब नहीं मिले
ना आपको मिलेंगे...
इसी लिए ये 'बचपन'
million's of wonders की कहानी है ।
जो कहानी अापने भी लिखीं थीं...
ये बच्चे भी लिखेंगे ।

... पर इनकी कहानी से हमें क्या ।
ये तो बस बच्चे है ।
यिन्हे बेरहम, Competitive
इस दुनिया का क्या पता।
आखिर हमें ही इन बच्चो को
Topper और Ranker बनाना है ।

There have been such gems amongst us who changed the course of the world because...
फिर मेरे अंदर के बच्चें ने कहा...
 ... because they could look at the world differently!

                                        - निशांत देवेकर

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