"ख़्वाब हो तुम या कोई हकीकत,
कोन हो तुम बतलाओं,
देर से इतनी, दूर खड़ी हो,
और करीब आजाओ..."
कुछ गानें यूहीं अपने से लगने लगते है,
कुछ यादें, छोटे बड़े किस्से मानो
जैसे उसकी धुन से लिपटकर बैठे हो ।
' गाने '
एक शब्द मैं तो इन्हे बस
आफ़त ही कहा जा सकता है,
थोड़े शरारती, अतरंगी, पागल...
जो ज़िंदगी को नए नज़रिए से देखना सीखा दे
और खुद को ज़िदंगी से भी ज्यादा ।
यिन गानों में शामिल होते है लता,
रफ़ी, किशोर, R.D., अरिजीत, बप्पी दा...
और 'आप'।
कभी कोई गाना हमे इतना पसंद आता है
की एक हफ्ते तक ओठो से नहीं उतरता
और ठीक एक हफ्ते बाद
अपने पुराने खिलौने की तरह भूलादिया जाता है
फिर कभी याद नहीं आता।
गाने सुनते वक्त कोई पूछे "कैसे हो ?"
तो इस सवाल का हर एक गाना
नया नया जवाब जताता है
कभी खुश, कभी अकेलापन,
कभी मस्तीभरे अंदाजो से रूबरू कराता है ।
प्यार करने के सपने यही तो दिखता है,
और उसे भुलाने तक यही सहारा जताता है,
यही तो है
जो प्यार में इतने ज़ख्म खाने के बाद
उन जख्मों पर मरहम लगाकर
फिर एक बार प्यार करने खड़ा होना सिखाता है ।
कभी कोई गाना इतना पसंद है,
की खत्म होने से डर लगता है !
कभी कोई गाना पूरे दिन,
जुबा और मन से जाने का नाम नहीं लेता !
और कभी कोई गाने की सिर्फ धुन याद रह जाती है !
आज किसी के लिए वो,
Spotify की पसंदीदा playlist है...
किसी के लिए downloaded music album...
तो किसी के लिए,
Radio FM पे RJ से कियी गई फरमाइश...
पर वो आज भी मेरे लिए,
केसेट की side A से side B तक
घूमती रिल की तरह...
ज़िंदगी से है ।
- निशांत देवेकर
Beautiful
ReplyDeleteDhiraj
ReplyDelete𝙽𝚒𝚌𝚎 𝚘𝚗𝚎
ReplyDeleteBeautiful 😀great dude
ReplyDeleteNice 👌👌
ReplyDeleteToo good💘💘💞
ReplyDeleteNice one
ReplyDelete🔥🔥🔥😍
ReplyDeleteAmazinggg 😍😍
ReplyDelete😍😍🔥🔥
ReplyDelete😍😍😍
ReplyDelete❣️❣️❣️
ReplyDeleteGood one☺️
ReplyDelete👏☹️👏
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