तैयार हो जा !


वो सोचता रहेता है,
"क्या में उनसे जितुंगा ?"
जीत तो उसकी पक्की है
पर...
पर मुझे डर तो इस बात का है कि
उसके बाद क्या वो खुदको हरा पाएगा !
दूसरों से जितने कि काबिलियत
तो हर कोई रखता है
पर हर कोई उस जीत को
संभाल और बाट नहीं पाता,
क्यों कि जीत के बाद वो खुद से
खुदके अहंकारसे,
जीत की उस झूठी धुंदली शान से,
हार जाता हैं
"तो कुछ सोचना ही है तो ये सोच
कि कहीं तू जीतकर भी हार ना जाए ।"

वो मुझे देख कर मुस्कुराया और कहा -
" तयार हो जा !
अब तुझे भी खुद को हराना है
क्यों की आने वाली जीत सिर्फ मेरी नहीं है
उन सब कि है
जो आज मेरे साथ खड़े है ।"

उसके ये लफ्ज मुझे बोहोत कुच सीखा गए...
जीत के बाद उन्हें याद करो
जिन्होंने आपको जिताया,
क्यों कि वो सोच
खुद को, खुदके बढ़ते अहंकार को
अपने आप हरा देती है ।
                     
                         - निशांत देवेकर

Also follow me at -
https://www.instagram.com/nishant_devekar/

Comments

Post a Comment