बच्चा है जी...


मर्द को दर्द नहीं होता ।
मर्द कभी नहीं रोता ।
एक अकेला काफी हो,
जो बोहतो को पीट देता ।
यहीं तो होता है मर्द...
बचपन से यही तो सुना है...
मगर अब जब हमारी बारी है
तब मर्द ने
अपना ही syllabus बदल दिया,
क्यों की अब
उसे भी दर्द होता है,
किसी के कन्धेपे सर रखकर
अब वो भी रोता है,
बच्चों को संभालते हुए
लोरी सुना कर
वो भी सुकून से सोता है,
शायद आज वो थकान के संग
घर लौटेगी सोचकर
खाना भी पका लेता है,
तुम्हारी cast, sexuality, property
इनसे उसे कोई फर्क नहीं
और
सिर्फ 15 inch biceps,
6 pack abs होने से
होता कोई मर्द नही,
खून से खत लिखकर प्यार बया करने मैं
अब उसे कोई interest नहीं,
पर फुटपाथ पे उसके साथ
बाहर की तरफ से चलने में
उसे दिलचस्प लगता है,
अकेले अंधेरे कमरे में
रात गुजारने को वो भी डरता है,
मर्द और औरत में काफी फर्क है,
जो फर्क वो भी करता है
पर कोई उस फर्क से
उनकी काबिलित का अंदाजा ना लगाए
इसकी वो फिक्र करता है,
और यीसी लिए फर्क के खूबसरती का
हमेशा जिक्र करता है,
मर्द को समजना
कोई rocket science नहीं
बस एक बार उसका हाथ थामलो
उसमे भी एक बच्चा है जी,
जिसने आज मुझे बताया
कि मर्द वहीं,
जो सच्चा है जी !
जो किसी की तकलीफ़ देख कर नम हो जाए।
जो किसी को बचा सके तो बचा पाए।
कुछ गलत मेहसू होते ही आवाज उठाए।
जो मर्दानगी के संग जिए,
नाकी उसे जताए।
क्यों की
हर कोई
आखिर
बच्चा है जी...
                 
                       - निशांत देवेकर

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